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667 B

हे मेरे प्राण तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है?

“मुझे गिरना नही चाहीए, मुझे चिंता नही करनी चाहीए ”

गिरा जाता है

“निराश होना”

परमेश्‍वर पर भरोसा रख

लेखक अपने प्राणो को परमेश्‍वर पर भरोसा रखने को लगातार कहता और हुक्म देता रहता है।