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वे मन ही मन यह सोचते हैं,

“उनके विशवास”

उनके निवास पीढ़ी से पीढ़ी तक बने रहेंगे

जिन स्‍थानो में वह रहते है आगे उनके वंशो के होंगे।

वे अपनी-अपनी भूमि का नाम अपने-अपने नाम पर रखते हैं।

"वे अपनी जमीन के मालिक हैं"