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जो अपनी सम्पत्ति पर भरोसा रखते।

ये लोग अपने धन पर भरोसा करते हैं कि वह उन्हें नुकसान उठाना से बचा लेगा।

अपने धन की बहुतायत पर फूलते हैं,

“किसी चिज कि बहुतायत”

उनमें से कोई छुड़ा नहीं सकता है;

यहा पर कोई और रासता नही है जी उनको छुड़ा सके”

उनमें से कोई अपने भाई को किसी भाँति छुड़ा नहीं सकता है; और न परमेश्‍वर को उसके बदले प्रायश्चित में कुछ दे सकता है

“कोई भी परमेश्‍वर को पैसे की अदायगी नही कर सकता कि उसका भाई न मरे”

उनके प्राण की छुड़ौती भारी है

“व्‍यक्‍ति के जीवन का छुटकारा बहुत कीमती है”