hi_tn/dan/07/04.md

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पहला जन्तु सिंह* के समान था और उसके पंख उकाब के से थे।

यह जानवर बस एक प्रतीक है, ऐसा कोई जानवर मोजूद नही है।

उसके पंखों के पर नीचे गए और वह भूमि पर से उठाकर, मनुष्य के समान पाँवों के बल खड़ा किया गया;

इस वाक्‍य में कहा जा सकता है कि किसी ने उस जन्तु के पंखों को फाड़ दिया और इसे भूमि से ऊपर उठा दिया और इसे एक मनुष्य के समान पाँवों के बल खड़ा कर दिया।

उसको मनुष्य का हृदय दिया गया।

यहाँ "हृदय" सोच को दर्शाता है। इस कहा जा सकता कि किसी ने उसको मनुष्य की तरह सोचने की क्षमता दी।

मैंने एक और जन्तु देखा जो रीछ के समान था,

यह एक वास्तविक में रीछ नहीं था, बल्कि एक जन्तु का प्रतीक था जो रीछ के समान था।

पसलियाँ

उसकी छाती की बड़ी पसलियाँ जो रीढ़ से जुड़ती हैं।

उससे कह रहे थे

इस वाक्‍य में कहा जा सकता है कि लोग उससे कह रहे थे ।