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उनके आगे पृथ्वी काँप उठती है, और आकाश थरथराता है। सूर्य और चन्द्रमा काले हो जाते हैं, और तारे नहीं झलकते।
इतने सारे टिड्डे हैं कि पृथ्वी और आकाश हिल जायें, और आकाश में सभी वस्तुओं को नहीं देखा जा सकता है।
यहोवा अपने उस दल के आगे अपना शब्द सुनाता है।
"यहोवा का नियंत्रण है।“
बड़ा और अति भयानक
इस वाक्यांश में दोनों विवरणों का मूल रूप से एक ही बात है। "बहुत भयानक"
उसको कौन सह सकेगा?
"कोई भी मजबूत नहीं होगा जो यहोवा के नियायें से बचे।"