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मसीह की नियुक्ति बिना शपथ नहीं हुई

किसी को तो शपथ खानी थी कि हमें और भी अधिक उत्तम कोई बात प्राप्त होती कि उसमें आशा बन्धी रहती” या “.... कि मसीह एक पुरोहित होता”

तू युगानयुग याजक है

“तू एक पुरोहित है और शाश्वत है”।