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क्योंकि तुम तो पहले अन्धकार थे
जिस प्रकार मनुष्य अन्धकार में देख नहीं सकता उसी प्रकार पाप में जीवन जीने वाले आत्मिक समझ से वंचित होते हैं
परन्तु अब प्रभु में ज्योति हो
जिस प्रकार मनुष्य अन्धकार में देख नहीं सकता उसी प्रकार पाप में जीवन जीने वाले आत्मिक समझ से वंचित होते हैं
ज्योति के फल सब प्रकार की भलाई और धार्मिकता और सत्य है।
विश्वासी के जीवन के काम (भलाई, सदाचार और सत्य) वैसे ही होते हैं जैसे एक अच्छे वृक्ष के उत्तम फल।
अन्धकार के निष्फल कामों में सहभागी ना हो”
“पाप और अविश्वासियों के कुकर्मों में सहभागी ना हो”
अन्धकार के निष्फल कामों
आत्मिक अन्धकार में वास करने वालों के काम ऐसे होते हैं जैसे अन्धकार में छिपे काम करने वालों के कार्य
उन पर असहमत हो
“उन्हें प्रकट करो कि वे अनुचित हैं”