\v 19 तव व्यवस्थाको आवश्यक्ता काहे पणो तव ? जौन सन्तानके प्रतिज्ञा भव रहए, बा न आन तक अपराधको करन व्यवस्था थपिगव। तव एक जनीके मध्यमसे स्वर्गदुतसे व्यवस्थाको स्थापना भव। \v 20 एकए को मध्यस्थ नहय, पर परमेश्वर एकए हए।