thr_act_text_reg/07/47.txt

1 line
708 B
Plaintext

\v 47 तव बाके ताहिँ भवन त सोलोमन बनाई | \v 48 "पर हातसे बनाओ भवनमे परमेश्वर बास ना करत् हए, जैसी अगमवक्ता कहिँ हँए, " \v 49 'मिर सिंहासन स्वर्ग हए, और पृथ्बी मिर टाँगको पावदान, तुम मिर ताहिँ कैसो भवन बनएहौ? परमप्रभु कहातहए, मिर बिश्रामको ठाउँ कौन हए? \v 50 50 का जा सब चीज मेरे हातसे बनाओ ना हए क?'