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\v 39 उजियारो हुइके पिच्छु फिर बे बो ठाउँ चिन नाए पाइँ, पर बे एक ढाहो देखिँ | जाको बलौटे किनरे रहए । जहाजके हुवाँ किनारे लगनके योजना बे करीँ । \v 40 बे लंगार झारत्, और समुन्द्रमे रहन दैं । बहेबारे डबना बाधो भई रस्सी खोल्दै । अग्गु पाल उठाएके हव्वा घेन घुमाए दैं और जहाजके किनारेसे बढाइँ । \v 41 तव पानी तरे लुको रेताको रासमे जहाज ठुक्के हुवाँए धसिगै, अग्गुको भाग अट्क गव और चलाए नाए पाइँ, और पिच्छुको भाग त लाणुरसे झोका खाएके टुटान लागो । |