From b0b493dfd1e859c4c97e29c7e6d5b03a2252b098 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: tsDesktop Date: Wed, 10 May 2023 16:04:19 +0545 Subject: [PATCH] Wed May 10 2023 16:04:19 GMT+0545 (Nepal Time) --- 19/30.txt | 2 +- 19/33.txt | 2 +- 19/35.txt | 2 +- 19/38.txt | 2 +- 4 files changed, 4 insertions(+), 4 deletions(-) diff --git a/19/30.txt b/19/30.txt index b7357ca..4a5eefa 100644 --- a/19/30.txt +++ b/19/30.txt @@ -1 +1 @@ -\v 30 \v 31 \v 32 30 पावल आदमिन के भीड मे जान मन् करी, पर चेला बाके जान ना दैं | 31 एशियाके तमान मुखिया आदमी पावलके मित रहैँ | बे पावलके रङ्गशाला भितर मत जाओ कहिके बिन्ति करके पठाईं | 32 तव बे अलग अलग बात करके चिल्लान लागे | काहेकी बो भीड मे हल्ला होत रहै, और तमान आदमी ता बे काहे जमा भै हँए बो फिर ना जानत रहएँ | \ No newline at end of file +\v 30 30 पावल आदमिन के भीड मे जान मन् करी, पर चेला बाके जान ना दैं | \v 31 31 एशियाके तमान मुखिया आदमी पावलके मित रहैँ | बे पावलके रङ्गशाला भितर मत जाओ कहिके बिन्ति करके पठाईं | \v 32 32 तव बे अलग अलग बात करके चिल्लान लागे | काहेकी बो भीड मे हल्ला होत रहै, और तमान आदमी ता बे काहे जमा भै हँए बो फिर ना जानत रहएँ | \ No newline at end of file diff --git a/19/33.txt b/19/33.txt index a7eae27..a82fb24 100644 --- a/19/33.txt +++ b/19/33.txt @@ -1 +1 @@ -\v 33 \v 34 33 भीडके कित्तो आदमी अलेक्जेन्डरके अग्गु सारीँ, जौनके यहूदी ठण बाइँ रहए| अलेक्जेन्डर हातसे इशारा करके आदमीनके अग्गु बचानके ताहिँ कछु कहान इच्छा करी| 34 पर बे बा ता यहुदी हए कहिके पता पाइके सबए जनि एकए सोरसे लगभग दुई घण्टा तक एफिसिनकी आर्तेमिस महान है कहातए चिल्लाइ | \ No newline at end of file +\v 33 33 भीडके कित्तो आदमी अलेक्जेन्डरके अग्गु सारीँ, जौनके यहूदी ठण बाइँ रहए| अलेक्जेन्डर हातसे इशारा करके आदमीनके अग्गु बचानके ताहिँ कछु कहान इच्छा करी| \v 34 34 पर बे बा ता यहुदी हए कहिके पता पाइके सबए जनि एकए सोरसे लगभग दुई घण्टा तक एफिसिनकी आर्तेमिस महान है कहातए चिल्लाइ | \ No newline at end of file diff --git a/19/35.txt b/19/35.txt index 7c33fcd..81f7451 100644 --- a/19/35.txt +++ b/19/35.txt @@ -1 +1 @@ -\v 35 \v 36 \v 37 35 नगरको हाकिम आदमिनके शान्त करके कहि, "एफिससके आदमी रेओ, एफिसीको सहेर त महान आर्तेमिसको मन्दिर और बादरसे गिरो भव बाकी मूर्तिको लखबरिया हए कहिके कौनक पता ना हए ? 36 तुम जानत हौ जा बातके कोई मनाहिं ना करपाबैगो, तभई मारे तुम चुप रहाव और बिना सोचविचारके काम ना करव | 37 काहेकी तुम लाएभए जे आदमी मन्दिर ना लुटी हैँ और हमरी देविक अपमान फिर ना करी हैँ | \ No newline at end of file +\v 35 35 नगरको हाकिम आदमिनके शान्त करके कहि, "एफिससके आदमी रेओ, एफिसीको सहेर त महान आर्तेमिसको मन्दिर और बादरसे गिरो भव बाकी मूर्तिको लखबरिया हए कहिके कौनक पता ना हए ? \v 36 36 तुम जानत हौ जा बातके कोई मनाहिं ना करपाबैगो, तभई मारे तुम चुप रहाव और बिना सोचविचारके काम ना करव | \v 37 37 काहेकी तुम लाएभए जे आदमी मन्दिर ना लुटी हैँ और हमरी देविक अपमान फिर ना करी हैँ | \ No newline at end of file diff --git a/19/38.txt b/19/38.txt index 4622d10..76f06e1 100644 --- a/19/38.txt +++ b/19/38.txt @@ -1 +1 @@ -\v 38 \v 39 \v 40 \v 41 38 जहे मारे अगर देमेत्रियस और उनके सँग भए कारिगरके कोइके बिरुद्धमे कुछ उजुर है कहेसे अदालत खुली हैँ और न्यायधिस फिर हैँ, बे एक दुसरेके बिरूद्धमे मुद्दा लडै | 39 पर जासे अलावा और विषय ऊठान चाहत हव कहेसे जक फैसला लगातार सभामे होबैगो | 40 काहेकि आजको जा हुलदंगाकी दोष हमर उपर लगन खतरा है | काहेकी जा बिना कारणको दंगाफसादको कोइ सफाई हम ना दै पए हैँ | 41 इतका कहिके बे सभाके समापन करीं | \ No newline at end of file +\v 38 \v 39 \v 40 38 जहे मारे अगर देमेत्रियस और उनके सँग भए कारिगरके कोइके बिरुद्धमे कुछ उजुर है कहेसे अदालत खुली हैँ और न्यायधिस फिर हैँ, बे एक दुसरेके बिरूद्धमे मुद्दा लडै | 39 पर जासे अलावा और विषय ऊठान चाहत हव कहेसे जक फैसला लगातार सभामे होबैगो | 40 काहेकि आजको जा हुलदंगाकी दोष हमर उपर लगन खतरा है | काहेकी जा बिना कारणको दंगाफसादको कोइ सफाई हम ना दै पए हैँ | \v 41 41 इतका कहिके बे सभाके समापन करीं | \ No newline at end of file