From 9823caa2faf5ca6ad252dfcb08ddfc8a2e6c0c0d Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: tsDesktop Date: Fri, 4 Aug 2023 09:42:02 +0545 Subject: [PATCH] Fri Aug 04 2023 09:42:01 GMT+0545 (Nepal Time) --- 16/29.txt | 2 +- 16/37.txt | 2 +- manifest.json | 2 +- 3 files changed, 3 insertions(+), 3 deletions(-) diff --git a/16/29.txt b/16/29.txt index 4af5feb..0fe62a3 100644 --- a/16/29.txt +++ b/16/29.txt @@ -1 +1 @@ -\v 29 " तव दिया माँगके उनके ठीन कुदत् भितर आओ और डरसे थरथरात पावल और सिलासके अग्गु घुप्टा पणिगौ । \v 30 "बिनके बाहिर लाएके उनसे कहि, "उध्दार पानके ताहिं मोके का करन पणैगो ? " \v 31 "और बे कहिं, "प्रभु येशु खीष्टमे विश्वास करऔ, और तुम उध्दार पाबैगो-तुम और तुमर परिवार ।" \ No newline at end of file +\v 29 " तव दिया माँगके उनके ठीन कुदत् भितर आओ और डरसे थरथरात पावल और सिलासके अग्गु घुप्टा पणिगौ । \v 30 "बिनके बाहिर लाएके उनसे कहि, "उध्दार पानके ताहिं मोके का करन पणैगो ? " \v 31 "और बे कहिं, "प्रभु येशु खीष्टमे विश्‍वास करऔ, और तुम उध्दार पाबैगे-तुम और तुमर परिवार ।" \ No newline at end of file diff --git a/16/37.txt b/16/37.txt index 1767e57..8645f71 100644 --- a/16/37.txt +++ b/16/37.txt @@ -1 +1 @@ -\v 37 ।" "पर पावल बिनसे कहि, हम रोमी नागरिकके दोषी न ठहराएके बे आदमिनके अग्गु पीटीं और झेंलमे फिर डारीं, और अब हमके चुप्पएसे निकारन सोचत हओ ? जा न हुइहए । बे अपनाए आमै और हमके निकार के लैजामए ।" \v 38 बे सिपाही हाकिमन के जे बात सुनाइँ। बे ता रोम के बासिन्दा हएँ कहिके सुनके बे डराइ गए। \v 39 बे आएके उनसे क्षमा मागीं, और उनके बाहिर लैगए, और सहेर छोडके जानके बिन्ती करीं । \ No newline at end of file +\v 37 । "पर पावल बिनसे कहि, हम रोमी नागरिकके दोषी न ठहराएके बे आदमिनके अग्गु पीटीं और झेंलमे फिर डारीं, और अब हमके चुप्पएसे निकारन सोचत हओ ? जा न हुइहए । बे अपनाए आमै और हमके निकार के लैजामए ।" \v 38 बे सिपाही हाकिमन के जे बात सुनाइँ। बे ता रोम के बासिन्दा हएँ कहिके सुनके बे डराइ गए। \v 39 बे आएके उनसे क्षमा मागीं, और उनके बाहिर लैगए, और सहेर छोडके जानके बिन्ती करीं । \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 77198ab..d02b699 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -285,9 +285,9 @@ "16-22", "16-25", "16-27", - "16-29", "16-32", "16-35", + "16-37", "16-40", "17-title", "17-01",