diff --git a/04/05.txt b/04/05.txt index d597c98..b23a264 100644 --- a/04/05.txt +++ b/04/05.txt @@ -1 +1 @@ -\v 5 कल उनके शासक, धर्म-गुरु और शास्त्री ( पण्डित ) यरुशलेममे ईकट्ठा भए रहएँ | \v 6 प्रधान पुजारी हन्‍नास, कैयाफा, यूहन्‍ना, अलेक्जेन्डर और प्रधान पुजारीके परिवारके जम्मए हुवाँ रहएँ \v 7 | बे पत्रुस और यूहन्‍नाके बीचमे ठडबाएके पुछीं, “कौन शक्तिसे औ कौनके नाउँमे तुम जा करेहौ?” \ No newline at end of file +\v 5 कल उनके शासक, धर्म-गुरु और शास्त्री ( पण्डित ) यरुशलेममे ईकट्ठा भए रहएँ । \v 6 प्रधान पुजारी हन्‍नास, कैयाफा, यूहन्‍ना, अलेक्जेन्डर और प्रधान पुजारीके परिवारके जम्मए हुवाँ रहएँ \v 7 । बे पत्रुस और यूहन्‍नाके बीचमे ठडबाएके पुछीं, “कौन शक्तिसे औ कौनके नाउँमे तुम जा करेहौ?” \ No newline at end of file diff --git a/04/08.txt b/04/08.txt index 06d47f3..1b2f42f 100644 --- a/04/08.txt +++ b/04/08.txt @@ -1 +1 @@ -\v 8 तव पवित्र आत्मासे भरपुर हुइके पत्रुस बिनसे कहि, “आदमीनके शासक ( मुखीया ) और धर्म-गुरु रेऔ, \v 9 आज हम एक जनी लंगडा आदमीके उपर एक अच्छो काम करनके बारेमे बा कौन उपाएसे अच्छो भव करके पूछत् हौ तव, \v 10 तुम सबके और सब इस्राएलके सबै आदमीनके पता होबए, कि तुम क्रुसमे टाँगो भवके और परमेश्वर मरोसे जिन्दा करी, बहे नासरतको येशू ख्रीष्टके नाउँमे जा आदमी तुमरे ठिन अच्छो हुइके ठाडो हए | \ No newline at end of file +\v 8 तव पवित्र आत्मासे भरपुर हुइके पत्रुस बिनसे कहि, “आदमीनके शासक ( मुखीया ) और धर्म-गुरु रेऔ, \v 9 आज हम एक जनी लंगडा आदमीके उपर एक अच्छो काम करनके बारेमे बा कौन उपाएसे अच्छो भव करके पूछत् हौ तव, \v 10 तुम सबके और सब इस्राएलके सबै आदमीनके पता होबए, कि तुम क्रुसमे टाँगो भवके और परमेश्वर मरोसे जिन्दा करी, बहे नासरतको येशू ख्रीष्टके नाउँमे जा आदमी तुमरे ठिन अच्छो हुइके ठाडो हए । \ No newline at end of file diff --git a/04/11.txt b/04/11.txt index d768ab5..ea586d1 100644 --- a/04/11.txt +++ b/04/11.txt @@ -1 +1 @@ -\v 11 | "'ज बहे पत्थर हए, जौनके तुम बनान बारे रोके रहौ, बहे हबए कुनैठोको खाश-पत्थर होनके अओ हए \v 12 |"और कोइमे मुक्ति न हए, काहेकी हम मुक्ति पानके ताहीं स्वर्गके तरे आदमीनके बीचमे और कोइ नाउँ न दई हए |” \ No newline at end of file +\v 11 । "'ज बहे पत्थर हए, जौनके तुम बनान बारे रोके रहौ, बहे हबए कुनैठोको खाश-पत्थर होनके अओ हए \v 12 ।"और कोइमे मुक्ति न हए, काहेकी हम मुक्ति पानके ताहीं स्वर्गके तरे आदमीनके बीचमे और कोइ नाउँ न दई हए ।” \ No newline at end of file diff --git a/04/13.txt b/04/13.txt index c33d34c..4766494 100644 --- a/04/13.txt +++ b/04/13.txt @@ -1 +1 @@ -\v 13 जब बे पत्रुस और यूहन्‍नाको हिम्मत देखीं और जे अनपढ और साधारण आदमी हएँ करके पता पाइँ, तव बे अचम्मो मानी, और बे येशूके संगमे रहत रहएँ करके पता पाइँ | \v 14 तव अच्छो भव आदमी बिनके संग ठाणो भव देखके बे कछु न मसकपाइँ | \ No newline at end of file +\v 13 जब बे पत्रुस और यूहन्‍नाको हिम्मत देखीं और जे अनपढ और साधारण आदमी हएँ करके पता पाइँ, तव बे अचम्मो मानी, और बे येशूके संगमे रहत रहएँ करके पता पाइँ । \v 14 तव अच्छो भव आदमी बिनके संग ठाणो भव देखके बे कछु न मसकपाइँ । \ No newline at end of file