From 56de28d1eb2b725f7c2335239a5e859ee8bda3cd Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: tsDesktop Date: Wed, 19 Apr 2023 17:34:12 +0545 Subject: [PATCH] Wed Apr 19 2023 17:34:10 GMT+0545 (Nepal Time) --- 25/21.txt | 1 + 25/23.txt | 1 + 2 files changed, 2 insertions(+) create mode 100644 25/21.txt create mode 100644 25/23.txt diff --git a/25/21.txt b/25/21.txt new file mode 100644 index 0000000..1a96f1e --- /dev/null +++ b/25/21.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 21 \v 22 21 तव पावल सम्राटको फैसला न होन तक हिरासतमे धरओ कहिके बिन्ती करनके ताहीं बाके कैसर ठिन न पठान तक निगरानीमे धरन हुकुम दै|” 22 तव अग्रिपास फेस्तससे कहि, “जा आदमीको बात मए अपनए सुनन पाईतो तव ठीक रहए|” और बा कहि, “कल तुम सुनिओ|” \ No newline at end of file diff --git a/25/23.txt b/25/23.txt new file mode 100644 index 0000000..ced762f --- /dev/null +++ b/25/23.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 23 \v 24 23 दुसरे दिन अग्रिपास और बरनिकी बणो सानसे सेनापति और सहेरके मुखिया आदमीनके संग सभाघरमे घुसे| और फेस्तसको हुकुम पाएके पावलके हाजिर कराईं| 24 फेस्तस कहि, “राजा अग्रिपास और हमर संग हियाँ भए सब उपस्थित सज्जनो, तुम जा आदमीके देखत हौ, जौनके बारेमे सबै यहूदीनके 'जा आदमी अबसे जिनको लायक न हय कहिके यरुशलेममे और हियाँ फिर मोसे बिन्ती करी रहएँ| \ No newline at end of file