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\v 9 कल बे अपन यात्रामे सहेरके जौने आएपुगत्, दुपहरको बाह्र बजेघेन पत्रुस त प्रार्थना करन घरको पणमे चढो । \v 10 बा भुखानो, और कुछ खानके मन करी, पर औरदुस्रे खानु तयार करत् बेरा बा ध्यानमे-मग्‍न हुइगव । \v 11 बा स्वर्ग खुलो और हुवाँसे चारौ कोनेमे बधो तन्‍ना जैसो पृथ्बीघेन झर्त देखी । \v 12 तव बा तन्‍नामे पृथ्बीके सब किसिमके चारटाँगके जनावर और घिस्टनबारे प्राणी और आकाशके चिरैचुरुंगी रहएँ ।