thr_act_text_reg/24/14.txt

1 line
1003 B
Plaintext
Raw Normal View History

\v 14 14 पर जा मए तुमरे अग्गु स्वीकार करत् हौं, कि जौन डगरके जे एक पन्थ कहात हँए, बहे अनुसार व्यवस्थामे भव बात और अगमवक्ता कि किताबमे लिखो सब बातमे विश्वास करके मिर पुर्खानको परमेश्वरको आराधना मए करत् हौं | \v 15 15 धर्मी और अधर्मी दोनए मरके पुंनरुत्थान हुइहँए कहिके जे अपनए स्वीकार करो जैसो मए परमेश्वरमे आशा धरत् हौं | \v 16 16 जहेमारे परमेश्वर घेन और आदमी घेन मए सबदिन शुध्द विचार करन कोशीस करत हौं |