thr_act_text_reg/20/09.txt

1 line
624 B
Plaintext
Raw Normal View History

\v 9 यूटीकस नाउँ भव एक जनई जवान झ्यालमे बैठो रहए | पावल बहुत देरतक बात करत जात बा निधाए गओ और निधाएके बा तिस्रो तलासे गिरिगव और बाके मरो अवस्थामे उठाइँ \v 10 तव पावल तरे उतरो, और घुप्टा हुइके बाके गलमैया डारी और कहि, “मत घबणाबओ काहेकी बा जिन्दए हए |”