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\v 37 । "पर पावल बिनसे कहि, हम रोमी नागरिकके दोषी न ठहराएके बे आदमिनके अग्गु पीटीं और झेंलमे फिर डारीं, और अब हमके चुप्पएसे निकारन सोचत हओ ? जा न हुइहए । बे अपनाए आमै और हमके निकार के लैजामए ।" \v 38 बे सिपाही हाकिमन के जे बात सुनाइँ। बे ता रोम के बासिन्दा हएँ कहिके सुनके बे डराइ गए। \v 39 बे आएके उनसे क्षमा मागीं, और उनके बाहिर लैगए, और सहेर छोडके जानके बिन्ती करीं ।