From 1d54fdc60f035fe673f6009c8f2e26c57b43df3b Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: tsDesktop Date: Wed, 2 Aug 2023 13:05:41 +0545 Subject: [PATCH] Wed Aug 02 2023 13:05:40 GMT+0545 (Nepal Time) --- 02/17.txt | 2 +- 1 file changed, 1 insertion(+), 1 deletion(-) diff --git a/02/17.txt b/02/17.txt index 9bf47d3..3a1859c 100644 --- a/02/17.txt +++ b/02/17.txt @@ -1 +1 @@ -\v 17 काहेकी भैया रेव, ह्रदयसे ना हए, पर आँखीके सुध तुमरे संग छाेटाे समयके ताहिँ बिछोड भएके मारे, बडाे इच्छासे तुमके आमनेसामने भेट करन उत्सुकतासे हम सल्लहा करे । \v 18 काहेकी हम तुमरे कहाँ आन खोजे रहँए- मए पावल बारम्बार आन चाहे- पर शैतान हमके रोकी । \v 19 हमर प्रभु येशू जब अए हए, बोबेरा बाके सामने हमरो आशा और आनन्द औ गर्वको मुकुट तुमहि का ना हए ? \v 20 नेह्त्य हमरो गौरव और आनन्द तुमहि ह \ No newline at end of file +\v 17 काहेकी भैया रेव, ह्रदयसे ना हए, पर आँखीके सुध तुमरे संग छाेटाे समयके ताहिँ बिछोड भएके मारे, बडाे इच्छासे तुमके आमनेसामने भेट करन उत्सुकतासे हम सल्लहा करे । \v 18 काहेकी हम तुमरे कहाँ आन खोजे रहँए- मए पावल बारम्बार आन चाहे- पर शैतान हमके रोकी । \v 19 हमर प्रभु येशू जब अए हए, बोबेरा बाके सामने हमरो आशा और आनन्द औ गर्वको मुकुट तुमहि का ना ह ? \v 20 नेह्त्य हमरो गौरव और आनन्द तुमहि ह \ No newline at end of file