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\v 8 8 प्रेमको कभु अन्त नाए होत हए|अगमवणी बितकेखतम हुइ जए हए, भाषा बन्द हुइजए हए, ज्ञान टल जए हए| \v 9 9 हमर ज्ञान अधुरो हए, हमर अगमवणी अधुरी हए| \v 10 10 तव जब सिद्धता चाहिँ अए हए, अपूर्णता खतम हुइ जए हए|