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\v 11 11 जब बालक रहौ तव बालक जैसो बोलत रहौ, बालकको विचार करत रहौ, बालक कता पुछत रहौ, पर जब मए जवान भव तव बालकको चाल छोड दओ| \v 12 12 अब हम दरपनमे जैसो गुधलो देखत हए, पर बो बेरा चाहिँ छर्लङ देखंगे| अभे मए थोरी बुझत हौ, बो बेरा चाहिँ पुरा बुझंगो, जैसी मए फिर पुरा रुपसे चिनो हौ| \v 13 13 अब विश्वास, आशा, प्रेम, जे तिन रहमंगे, पर जे मैसे सबसे अच्छो प्रेम हए| |