\v 52 \v 53 52 एकछिनमे, आँखीको एक टिमकनमे, तुरहीको आवाजमे काहेकी, तुरही बजहए, और मरेभए अविनाशी हुइके जिन्दा हुइहए| और हमरो परिवर्तन हुइहए| 53 काहेकी जा विनाशी स्वभाव अविनाशी, और जा मरनबारो शरीर अमरत्व धारन करन पणैगो|