From bac84cc2a40189b16a4287c61d21fe46b28b313f Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Rana_Tharu Date: Fri, 28 Jul 2023 22:52:22 +0545 Subject: [PATCH] Fri Jul 28 2023 22:52:21 GMT+0545 (Nepal Time) --- 10/25.txt | 2 +- 10/28.txt | 2 +- manifest.json | 1 + 3 files changed, 3 insertions(+), 2 deletions(-) diff --git a/10/25.txt b/10/25.txt index d9cfb82..b8f2c54 100644 --- a/10/25.txt +++ b/10/25.txt @@ -1 +1 @@ -\v 25 तुम बजारमे जो बेचत हए, ज्ञान के ताहिँ कछु बिना पुछके बो खाए । \v 26 काहेकी पृथ्वी और बोमे भव सब चिज प्रभुक हए । \v 27 कोई अविश्वासी बोके पाटी खान खबर दैई तव जान इच्छ हए कहेसे तिर अग्गु जो धरदेहए: ज्ञान के ताहिँ कछु नाए पुछके खाबओ । \ No newline at end of file +\v 25 बजारमे जो बिचत हए, ज्ञान के ताँहिँ कछु बिना पुछके बो खाए । \v 26 काहेकी पृथ्वी और बोमे भौ सब चिज प्रभुक हए । \v 27 कोई अविश्वासी बोके पाटी खान खबर दैई तौ जान इच्छ हए कहेसे तिर अग्गु जो धरदेहए: ज्ञान के ताँहिँ कछु ना पुछके खाबओ । \ No newline at end of file diff --git a/10/28.txt b/10/28.txt index 80bac79..0ce5a1d 100644 --- a/10/28.txt +++ b/10/28.txt @@ -1 +1 @@ -\v 28 28 "पर कोइ आदमी तोके ""जा त बलिमे चढओ भव हए"" कही त बतान बारेके ताहिँ और ज्ञानके ताहिँ, मत खाओ| " \v 29 29 तिर नाए, पर बोके ज्ञानके ताहिँ मिर स्वतन्त्रताको न्याय और ज्ञानसे कही हुइ हए? \v 30 30 अगर धन्यवाद दैके मए खात हौ, कहिके धन्यवाद दैके खओ भव पाटीके ताहिँ काहे मिर निन्दा होए? \ No newline at end of file +\v 28 "पर कोइ आदमी तोके ""जा त बलिमे चढओ भव हए"" कही त बतान बारेके ताहिँ और ज्ञानके ताहिँ, मत खाओ । " \v 29 तिर नाए, पर बोके ज्ञानके ताहिँ मिर स्वतन्त्रताको न्याय और ज्ञानसे कही हुइ हए ? \v 30 अगर धन्यवाद दैके मए खात हौ, कहिके धन्यवाद दैके खओ भव पाटीके ताँहिँ काहे मिर निन्दा होए? \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index c11674f..c6390ab 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -140,6 +140,7 @@ "10-18", "10-20", "10-23", + "10-25", "11-title", "12-title", "13-title",