From a53fdd1ce694c6f00702894354be1138b46b6c91 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Rana_Tharu Date: Thu, 27 Jul 2023 20:45:12 +0545 Subject: [PATCH] Thu Jul 27 2023 20:45:12 GMT+0545 (Nepal Time) --- 04/03.txt | 2 +- 04/05.txt | 2 +- manifest.json | 1 + 3 files changed, 3 insertions(+), 2 deletions(-) diff --git a/04/03.txt b/04/03.txt index e62a3de..9616d56 100644 --- a/04/03.txt +++ b/04/03.txt @@ -1 +1 @@ -\v 3 तव बिनसे अथवा आदमीके कोई अदालतसे मेरो इन्साफ होन, जा त मेर ताहिँ निकना छोटो बात हए, मए अपनए फिर अपनो इन्साफ ना करत हौँ । \v 4 मिर अपनो विरुध्दमे कुछ हए कहेसे मोके पता नैयाँ, पर बो मोके निर्दोष साबित ना करहए| मेरो न्याय करनबालो त प्रभुए हए । \ No newline at end of file +\v 3 तव बिनसे अथवा आदमीके कोई अदालतसे मेरो इन्साफ होन, जा त मेर ताहिँ निक्कना छोटी बात हए, मए अपनए फिर अपनो इन्साफ ना करत हौँ । \v 4 मिर अपनो विरुध्दमे कुछ हए कहेसे मोके पता नैयाँ, पर बो मोके निर्दोष साबित ना करेहए , मेरो न्याय करनबालो त प्रभुए हए । \ No newline at end of file diff --git a/04/05.txt b/04/05.txt index be09cee..671d01b 100644 --- a/04/05.txt +++ b/04/05.txt @@ -1 +1 @@ -\v 5 5 जहेमारे तुको समयसे अग्गु न्याय मतकरौ, प्रभु आन तक आसिया बौ| बो अँध्यारोमे लुकी बातके उजियारोमे लाबैगो, और आदमीको हृदय अभिप्राय प्रकट करदेत हए । तव सब आदमी परमेश्वरमे अपनो प्रशंसा पामंगे । \ No newline at end of file +\v 5 जहेमारे तुको समयसे अग्गु न्याय मतकरौ, प्रभु आन तक आसिया बौ| बो अँध्यारोमे लुकी बातके उजियारोमे लाबैगो, और आदमीको हृदय अभिप्राय प्रकट करदेत हए । तव सब आदमी परमेश्वरमे अपनो प्रशंसा पामंगे । \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index aac63c4..f4f8998 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -73,6 +73,7 @@ "03-21", "04-title", "04-01", + "04-03", "05-title", "06-title", "07-title",