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Rana_Tharu 2023-05-18 22:50:20 +05:45
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\v 27 \v 28 \v 29 \v 30 27 जहेमारे जौन अयोग्य रितिसे प्रभुको रोटी खाए हए, कि प्रभुको कटोरामैसे पिहए, बो आदमी प्रभुको शरीर और रगतके अपवित्र तुल्याहे कहेसे दोषी ठहरैगो| 28 हरेक आदमी अपनके जाँचए, तव मात्र बो रोटी खाबै, और कटोरासे पिबै| 29 काहेकी प्रभु शरीरके नचिनके जौन खाएहे और पिहए बो खाओ और पिओ अपनउपर दण्ड लाबैगो|30 जहेमारे तुमरमैसे गजब कमजोर और रुगहा हए, और कित्तो जनै सोइगए हए

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\v 31 \v 32 31 पर हम नेहत्व अपन अपनएके जाँचे हए कहेसे हम न्यायमे नाए पणंगे| 32 पर जब प्रभु हमरो न्याय करहे, तव हमके अनुशासन करैगो, ताकि संसारसंग दोषी नाए ठहरैगे|

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\v 33 \v 34 33 जहेमारे मेरे भैया तुम, खानके एकसंग भेला होत एक दुसरेके असियाबै| 34 अगर कोइ भुखो हए कहेसे बो घरमे खाबै, नत एकसंग भेला होत तुम दण्डको भागी हुइहौ| और बातके बारेमे मए आएके निर्देशन देमंगो|

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\c 12 \v 1 \v 2 \v 3 1 भैया तुम, अब आत्मिक वरदानको बारेमे तुम अनजान होबाओ करके मेरो इच्छा नैयाँ| 2 तुमके पता हए, कि जब तुम अन्यजाति रहओ, तव कोइ न कोइ प्रकारसे प्रभावित हुइके तुम नमस्कन बारी मूर्तिघेन बहके रहौ| 3 "जहेमारे तुमके जा बात बुझो मए चाहत हौ, कि परमेश्वरको आत्मासे मस्कन कोइ ""येशू श्रापित होबए"" नाए कहत हए, तव पवित्र आत्मासे मात्र ""येशू नै प्रभु हए"" कहन सिकंगे| "

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\v 4 \v 5 \v 6 4 वरदान बेढमकिसिमके हए, पर पवित्र* आत्मा एकै हए| 5 सेवा बेढम तरिका हए, पर प्रभु एकै हए| 6 काम बेढम किसिमके हए, पर बहे परमेश्वर हरेकके बे काम करन प्रेरण देतहए|