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# सामान्य जानकारी।
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इन आयतों मे यिर्मयाह यहोवा से अपनी पीडायों के बारे मे बात करता है और यहोवा उसका उत्तर देते है।
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# हे मेरी माता, मुझ पर हाय।
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यिर्मयाह अपनी माँ से बात करने का ढोंग करता है इस बात पर जोर देने के लिए कि वह कितना दुखी है।
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# ऐसे मनुष्य से झगड़ा और वाद-विवाद करनेवाला ठहरा है।
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शब्द “ विवाद” और तर्क” का अर्थ मूल रूप से एक ही बात है। साथ में वे जोर देते हैं कि यिर्मयाह कितनी बहस कर रहा है। "एक आदमी जिसके साथ हर कोई हर समय बहस करता है।"
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# ब्याज।
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किसी को उधार देना।
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# निश्चय मैं तेरी भलाई के लिये तुझे दृढ़ करूँगा।
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मै निश्चित रूप से तेरे अच्छे के लिए बचाव करूगा।
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# तेरे शत्रु।
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वे यिर्मयाह के दुश्मन हैं जो उसकी भविष्यवाणियों से सहमत नही।
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# विपत्ति और कष्ट के समय मैं।
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यहाँ “विपत्ति” “कष्ट“ शब्द का एक ही अर्थ है, “बड़ी विपत्ति के समय में।“
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# क्या कोई लोहा तोड़ सकता है ?
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"मेरा फैसला नहीं बदला जा सकता, जैसे लोहे को तोड़ा नहीं जा सकता।"
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# पीतल अर्थात् उत्तर दिशा का लोहा।
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"मेरा निर्णय मजबूत लोहे की तरह है।"
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